Jab college ke pahle din maine pahli baar tumhen dekha
To aisa laga tha ki puri zindagi kahin ruk si gayi ho
Main mere 4 doston ke saath aakhri bench
par kone wale sit par baitha tha
Jaise pure class ka View mile Uske center mein tum raho aur
Mera Focus sirf tum par bana rahe hain Ma'am jor-jor se chillakar kuch padhane ki koshish kar rahi thi
Magar tumhari dil ki dhadkanon se unki aawaz mere liye kahin ghum si ho gayi thi Kya wo pyar tha...
Mujhe nahin aata pyar ka izhaar karna
Mujhe nahin aata pyar ka izhaar karna....
Kash tum aankhon ki bhasha samajh leti Main kuch kahna chahta tha lekin kah
nahin paya
Dil mein jo baat thi wo juban par aati thi Lekin lafzo mein tabdil hone se pahle hi kahin Kahin kho si jaati thi Kya wo pyar tha...
Aankhon se aankhen mil gayi baaton se baaten mil gayi Baaton ke liye mulakaate badh gayi Aur wo mulakaaten dheere-dheere dosti mein tabdil ho gayi Tab tumne mujhse ek baat kahi thi ki 'Shubham'
Ladki ka haath hamesha is tarah se haath mein pakadte hai Aur main pagla man hi man mein Muskura kar kah gaya ki main Tumhara haath yahan Zindagi bhar pakad ke rakhna chahta hoon Kya wo pyar tha...
Us din se padhai ke liye college jaana fizool sa lagta tha Aur jis din tum nahin aati thi to pura college hi banjaaran sa lagta tha Tab se tum meri zindagi ka hissa ban gayi Hum saath mein muskuraate the Bas fark itna hota tha ki Tum khushi se muskuraati thi aur main tumhen dekhkar muskuraata tha Kya wo pyar tha...
In aankhon ko teri aadat si ho gayi thi In hothon ko tumhari ibadat si ho gayi thi Ek line mein tumhari tarif kya karoon Paani tumhen dekhen to pyasa ban jaye Aur aag tumhen dekhe to use khud se jalan ho jaaye naa Kya wo pyar tha...
Tumhare phone pe recharge main karta tha Aur ghanto tak tum kisi aur se baaten karti thi Tum pyar se kisi aur ka haath pakadti thi aur yahan gudgudi mere hathon mein hoti thi Tum kisi aur ko gale lagati thi aur yahan dhadkane meri tez ho jaati thi Class mein Ma'am tumhen daant ti thi Lekin gussa mujhe aata tha Tum kisi aur ke kandhe par sar rakh kar roti thi Aur yaar takleef mere dil ko hoti thi Kya wo pyar tha...
IN HINDI
क्या वो प्यार था....
जब कॉलेज के पहले दिन मैंने पहली बार तुम्हें देखा
तो ऐसा लगा था कि पूरी जिंदगी कहीं रुक सी गई हो
मैं मेरे 4 दोस्तों के साथ आखरी बेंच पर कोने वाले सीट पर बैठा था
जैसे पूरे क्लास का View मिले
उसके सेंटर में तुम रहो और
मेरा फोकस सिर्फ तुम पर बना रहे हैं
Ma'am जोर-जोर से चिल्लाकर कुछ पढ़ाने की कोशिश कर रही थी
मगर तुम्हारी दिल की धड़कनों से उनकी आवाज मेरे लिए कहीं घूम सी हो गयी थी
क्या वो प्यार था...
मुझे नहीं आता प्यार का इजहार करना
मुझे नहीं आता प्यार का इजहार करना....
काश तुम आंखों की भाषा समझ लेती
मैं कुछ कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पाया
दिल में जो बात थी वो जुबान पर आती थी
लेकिन लफ्जो में तब्दील होने से पहले ही कहीं
कहीं खो सी जाती थी
क्या वो प्यार था...
आंखों से आंखें मिल गई बातों से बातें मिल गई
बातों के लिए मुलाकाते बढ़ गई
और वो मुलाकातें धीरे-धीरे दोस्ती में तब्दील हो गई
तब तुमने मुझसे एक बात कही थी कि शुभम
लड़की का हाथ हमेशा इस तरह से हाथ में पकड़ते
और मैं पगला मन ही मन में मुस्कुरा कर कह गया कि मैं तुम्हारा हाथ यहां जिंदगी भर पकड़ के रखना चाहता हूं
क्या वो प्यार था....
उस दिन से पढ़ाई के लिए कॉलेज जाना फिजूल सा लगता था
और जिस दिन तुम नहीं आती थी तो पूरा कॉलेज ही बंजारान सा लगता था
तब से तूम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई हम साथ में मुस्कुराते थे
बस फर्क इतना होता था की
तुम खुशी से मुस्कुराती थी और मैं तुम्हें देखकर मुस्कुराता था
क्या वो प्यार था....
इन आंखों को तेरी आदत सी हो गई थी
इन होठों को तुम्हारी इबादत सी हो गई थी
एक लाइन में तुम्हारी तारीफ क्या करूं
पानी तुम्हें देखें तो प्यासा बन जाए
और आग तुम्हें देखे तो उसे खुद से जलन हो जाये ना
क्या वो प्यार था....
तुम्हारे फोन पे रिचार्ज मैं करता था
और घंटो तक तुम किसी और से बातें करती थी
तुम प्यार से किसी और का हाथ पकड़ती थी और यहां गुदगुदी मेरे हाथों में होती थी
तुम किसी और को गले लगाती थी और यहां धड़कने मेरी तेज हो जाती थी
क्लास में Ma'am तुम्हें डांटती थी लेकिन गुस्सा मुझे आता था
तुम किसी और के कंधे पर सर रख कर रोती थी
और यार तकलीफ मेरे दिल को होती थी
क्या वो प्यार था....
न जाने वह क्या था प्यार था या कुछ और था
लेकिन जो तुमसे था वो किसी और से नहीं था
दोस्तों उसने मुझसे कहा था कि उसे प्यार की दीवारों से नफरत है
और कुछ महीने बाद वह किसी और के साथ अपनी मोहब्बत का महल सजा रही थी
साला मुझे लगता था कि जिंदगी का एक उसूल है
मतलब प्यार के बदले हमेशा प्यार मिलता है
जब हमारी बारी आई
तो साला जिंदगी ने अपने उसूल ही बदल दिये
तो आज से हम भी बदलेंगे
हम भी बदलेंगे
हमारा अंदाज-ए-जिंदगी से राबता सब से होगा लेकिन वास्ता किसी से नही
इस तरह यह गजल सुना के मै महफिल में खङा था
और लोग अपने अपने चाहने वाले में खो गए थे क्योंकि एक तरफा ही सही मगर
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